सलाम वालेकुम दोस्तों आज के इस पोस्ट में मैं हम बाबर का इतिहास के बारे में जानेंगे |दोस्तों आज ऐसा कोई ही इंसान होगा जो भारत में शायद बाबर का नाम ना जानता होगा |बाबरी मस्जिद के बनाने वाला बाबर ही है तो इसीलिए हमने सोचा कि क्यों ना बाबर के बारे में ही आज जाना जाए History of Babar, Baber of King |तो चलिए दोस्तों अब शुरू करते हैं पर जानते हैं बाबर के बारे में
History of Babar, King of Babar, हिस्ट्री ऑफ़ बाबर, किंग ऑफ़ बाबर
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History of Babar |
बाबर (ज़हीर-उद-दीन मुहम्मद)
baber का जन्म 14 फरवरी, 1483 AD में फरगाना में हुआ था जोकि अब उज्बेकिस्तान में है |सम्राट बाबर भारत में मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक था | इनाम बाबर पर्शियन भाषा से लिया गया है
जिसका अर्थ है सिंह ( शेर) | baber अपने पिता की तरफ से तैमुरलेन का उत्तरधिकारी और अपने माता की तरफ से गंघिस खान के उत्तराधिकारी था |बाबर के जन्म के दौरान, पश्चिमी मध्य एशिया में रहने वाले मंगोलों के पूर्वजों ने तुर्क और पर्शिया के लोगों के साथ अंतर्जातीय विवाह करना आरंभ कर दिया और उनके रहन - सहन को अपना लिया तथा पर्शिया से ज्यादा प्रभावित होने के कारण उन्होनें इस्लाम धर्म को अपना लिया |
History of Babar, King of Babar, हिस्ट्री ऑफ़ बाबर, किंग ऑफ़ बाबर
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King of Babar |
Baber Ne Rajgaddi Sambhali बाबर ने राजगद्दी संभाली
1494 AD में baber बाबर के पिता का अचानक देहांत हो गया और उस वक्त बाबर केवल 11 वर्ष का था | उसने अपने पिता की राजगद्दी संभाली | 1497 AD से बाबर ने प्रसिद्ध समरकन्द में सिल्क रोड नखलिस्तान शहर पर आक्रमण कर आधिपत्य जमा लिया परंतु कुछ ही वर्षों के बाद उसने अपना नियंत्रण खो दिया क्यूंकि वह दूसरे स्थानों पर अपने आधिपत्य को मजबूत करने में व्यस्त था |
अफगानिस्तान में निर्वासन
बेघर राजकुमार मध्य एशिया में कुछ समर्थक पाने के लिए तीन साल तक घूमता रहा ताकि वे इसे इसके पिता की राजगद्दी पाने में मदद करें | अंत में 1504 AD में उसने दक्षिण पूर्व की तरफ रुख किया और बर्फ़ से ढके हिन्द कुश पर्वतों को पार कर अफगानिस्तान पहुंचा |
जब बाबर 21 वर्ष का हो गया उसने काबुल पर विजय प्राप्त की और काबुल पर अधिकार जमा कर उसे अपना नया राज्य बनाया |
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Babar King |
लोदी के तख़्ता पलट का न्यौता
1521 में दक्षिणी विस्तार के लिए बाबर के पास तख़्ता पलट का मौका आया | दिल्ली सल्तनत के सुल्तान, इब्राहिम लोदी ने अपने प्रशंसकों कों सेना और सभा में स्थान देने तथा निर्धन वर्ग के लोगों पर शासन करने के कारण उसे प्रजा द्वारा नापसंद किया जाने लगा |इससे अफगान की प्रजा इब्राहिम लोदी से इतनी परेशान हो गई थी कि उन्होनें दिल्ली सल्तनत में बाबर कों बुला कर इब्राहिम लोदी का तख़्ता पलट कर राजगद्दी लेने के लिए कहा |
First Battle of Panipat पानीपत का प्रथम युद्ध
बाबर ने आखिरकार अप्रैल 1526 AD में इब्राहिम लोदी के खिलाफ युद्ध आरंभ कर दिया और उसके सशस्त्र सेना ने सुल्तान इब्राहिम कों बाहर निकाल दिया | इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच में हुआ युद्ध, पानीपत का प्रथम युद्ध कहलाया और इस युद्ध ने दिल्ली सल्तनत का पतन सुनिश्चित किया
Rajput war ~ राजपूत युद्ध
बाबर अपने पूर्वजों की तरह ही अपनी राजधानी आगरा में बनाने के लिए आतुर था | राजपूत जानते थे कि मुगल सेनाएँ पानीपत के युद्ध के बाद कमजोर हो गईं होगी | इसलिए राजपुताना राजकुमारों ने लोदी की सेना से बड़ी सेना एकत्रित की और मेवाड़ के राणा सांगा के नेतृत्व में बाबर के विरुद्ध युद्ध करने चले गए | बाबर की सशस्त्र सेना राजपूतों के साथ युद्ध में कामयाब रही और मार्च 1527 AD में खनवा के युद्ध में उन पर काबू पाने में सफल रहे |
Death of babur बाबर की मृत्यु
1530 AD में बाबर baber बीमार हो गया | इसका बहनोई बाबर की मृत्यु के बाद हुमायूँ (बाबर का ज्येष्ठ पुत्र ) कों मारकर राजगद्दी कों हासिल करना चाहता था | हुमायूँ राजगद्दी पर अपना अधिकार जताने के लिए आगरा के लिए तुरंत रवाना हो गया, परंतु वह गंभीर रूप से बीमार हो गया, पूर्वजों के मतानुसार, बाबर ने ईश्वर से उसकी ज़िंदगी के बदले हुमायूँ की जिंदगी बख्शने के लिए प्रार्थना की | 5 जनवरी 1531, को 47 वर्ष की उम्र में इसका देहांत हो गया और उस वक़्त हुमायूँ 22 वर्ष का था जब उसने साम्राज्य संभाला |
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इस पोस्मेंट मैंने किंग ऑफ बाबर के बारे में बताया था यह तो एक छोटी सी ही में एक कथा लिख पाई हूं आप को समझाने के लिए हिस्ट्री ऑफ बाबर के लिए मैं कुछ और भी ले कर आऊगी
Super post
जवाब देंहटाएंNice post
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