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ससुराल की यात्रा शेखचिल्ली की

 नमस्कार दोस्तों मैं आज आपके लिए लेकर आई हूं एक ही बड़ी और मजेदार कहानी शेखचिल्ली शेखचिल्ली को तो शायद कोई ही आदमी होगा जो उसको नहीं जानता होगा कोई ही ऐसा होगा जो उसके बारे में नहीं जानता होगा तो चलिए हम शुरुआत करते हैं सेक्सी के बारे में

Shg Bade Hai aaram se Rehte the सेठ जी बड़े ही आराम से रहते थे कभी-कभी खा लिया करते थे चैन ही चेंज थे 1 दिन उसकी ससुराल से चिट्ठी आई कि जब से विवाह हुआ है दामाद जी यहां नहीं आए इसलिए प्रार्थना है कि दो-चार दिन के लिए आए जाएं क्योंकि ससुराल में साले सालियां उन्हें देखने को व्याकुल हैं सेठ जी की मां ने कहा बेटा तुम्हारा जाना जरूरी है शेख जी पहले तो कुछ न जाए बाद में राजी हो गए और दूसरे दिन सज धज कर ससुराल की ओर चलते समय मां ने कहा बेटा ना किसी दिन में जाना और हर बात में अपनों को झुककर झुका कर रखना और यदि कोई कुछ भेंट करें तो सिर माथे पर स्वीकार करना यह उद्देश्य एक जीने ध्यान से सुने और फिर वह नाक की सीध में रवाना हो गए शहर शहर से बाहर निकलने के बाद वह नदी के घाट पर पहुंचे नाव नदी उन्नाव दूसरी ओर गई थी कुछ समय बाद उन्हें नाव दिखाई दी पर वह यह देखकर हैरान रह गए कि तेरी होकर आ रही है सोचने लगे इसका मतलब यह है कि जब नाव जाएगी तो मैं भी इसी प्रकार टेढ़ी हो जाएगी और मुझे जाना है ना की सीट पर सोचते ही उन्होंने जूते सहित पानी में छलांग लगा दी और नाक की सीध पर तैरते हुए पार पहुंचे और फिर रास्ते को छोड़कर वह खेतों और जंगलों को पार करते हुए नाक की सीध पर चलते हुए ससुराल पहुंचे वहां पहुंचते ही उनका आदर सत्कार हुआ दामाद सगे-संबंधी उनसे मिलने आए और सेठ जी ने अपना परिचय कराया एक साहब जो लखनऊ में रहा करते थे और उन दिनों वहां छुट्टी पर आए हुए थे उन्होंने भी आकर्षक जी से मुलाकात की सेठ जी ने अपना पूरा परिचय इस प्रकार कराया लकीर फकीर सराफा तकरीर को मियां नजर कहते हैं यह परिचय सुनते ही शेख जी को माता जी की बताई हुई बात याद आ गई कि अपने आप को सिर झुका कर रखना चाहिए और सोचने लगे कि ऐसा ही जवाब देना चाहिए मेरा नीचे पंसद हो सके Action सोचने के बाद हमने कहा मुझे आंख धूप कुत्ते या मेरी हुई बिल्ली मियां शेखचिल्ली कहते हैं इतने सारे हंसी के लोटपोट हो गए और बोले माशा अल्लाह आप तो बहुत दिलचस्प आदमी है शेख जी ने कहा यह दास इस योग्य है बस आप की जूतियां के तूफान से उल्टे सीधे जवाब दे देता हूं वह जनाब अपनी शानदार बातों को उल्टी-सीधी कहते हैं यह महान होने का प्रमाण है शेख जी ने यह सुनकर उस साहब के पांव पकड़ लिए और भर रहे हो सर आप पहले व्यक्ति है जिसने मुझे समझा है नहीं तो सारी दुनिया के लोग मुझे मूर्ख समझते हैं अभी बात हो ही रही थी कि छोटा साला पान लेकर आ गया शेखचिल्ली ने आज तक आया नहीं था पर यह सोचकर कि कोई खाने की वस्तु मालूम पड़ती है उन्होंने एक पीड़ा मुंह में डाल लिया और बुरा सा मुंह बनाकर पान खाने लगे उसी समय साहब सलाम करके विदा हो गए सेठ जी की नजर एकदम आईने में आ रही थी तो क्या देखते हैं कि उनके मुंह से खून भरा सेठ जी को यह बात अच्छी तरह मालूम थी कि इंसान के मुंह से खून आ जाए तो वह मर जाता है यह सोचते ही जोर जोर से रोने लगे सारे घर में हाहाकार मच गया क्या हो गया क्या हो गया दामाजी हो रहे हैं अवश्य कोई गम की बात होगी उसी समय सारा घर में किसी को कुछ पता ना था कि रोना क्यों हो रहा है

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